वेदों में मौत को अटल कहा गया है यानी जिसने इस दुनिया में जन्म लिया है उसकी उसका अंत निश्चित है
लेकिन आपने इस बात पर ध्यान दिया है कि जब किसी की मौत हो जाती है तो उसके नाक और कान में रुई क्यूं डाली जाती हैं
नाक और कान में रुई डालना कोई नई बात नहीं है लेकिन सवाल ये उठता है कि ऐसा किया क्यों किया जाता है
अधिकतर लोग इस बारे में नहीं जानते या फिर वह वही बातें जान पाते हैं जो कि जीते जी उनके साथ होती है
नाको और कानों में रुई कुछ खास वजह से डाली जाती है अगर विज्ञान की नजर से देखे तो जब इंसान मरता है तो उसके खुले भागों से कई तरह के तरल पदार्थ निकलते हैं जिनसे काफी ज्यादा बदबू आती है जिसे रोकने के लिए रुई का इस्तेमाल किया जाता है
वहीं हमारे पुराणों में मौत को नई शुरुआत कहा गया है यानी मृत्यु के बाद आत्मा एक शरीर को छोड़कर दूसरे शरीर में प्रवेश करती है और इसी काम को आसान बनाने के बनाने के लिए ऐसा किया जाता है
पुराणों में कहा गया है अगर आत्मा मस्तिष्क के ऊपरी भाग से निकलेगी तभी दूसरा जन्म होगा नहीं तो वह इस संसार में भटकती रहेगी इसीलिए इंसान के मरने के बाद उसके खुले अंगों को रुई की मदद से बंद कर दिया जाता है।
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