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Why rats is used for experiments

Why rat is used for experiments

We all consider rats as creatures that spoil our food, but you will be shocked to know how much rats benefit us. 

Whenever we have to choose animals for research we prefer to do experiments on rats and mice for human research. 

The reason behind choosing rats is their anatomical, physiological, and genetic similarity to humans. 

Some diseases that humans face like Cancer, Diabetes Hypertension, HIV, and AIDS these diseases also happen to rats. The nervous system of the rat and human beings react in the same way when infection or injury is happening to the body.

Another reason is that their reproduction period is only 3 months and can produce 2,00,000 (two lacks) children in just 18 months. Their life cycle is only two to three years, whereas, in humans, the child remains in the mother's womb for 9 months, apart from this, due to their small size, they take up very little space, which makes it easy to keep an eye on them. 

What types of rats are used in research 

Not every rat is used for experiments in the laboratory we mostly use white rat species such as Wister rats and Albino rats

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क्रिकेट ग्राउंड में एक से ज्यादा पिचें क्यों होती हैं ?

आपने क्रिकेट मैच जिंदगी में कभी ना कभी देखा होगा  या  फिर आप उनमें से होंगे जो कभी क्रिकेट मैच को कभी भी मिस नहीं करते चाहे टेस्ट मैच हो या वनडे   या हो सकता है आपको  केवल आईपीएल देखने का शौक हो कुछ लोगों को क्रिकेट मैच का इतना शौक होता है कि उन्हें 2 देशों की दूरी भी कम पड़ जाती है कुछ लोग तो अपने फेवरेट  प्लयेर को सपोर्ट करने के लिए अपने बॉडी को तरह - तरह से पेंट तक करवा लेते हैं अगर आप भी क्रिकेट के शौकीन हैं तो क्या आप जानते हैं की क्रिकेट ग्राउंड में एक से अधिक पिच क्यों  होती हैं  इन सभी पिचों में 1 मेन पिच होती है  जो रिजर्व रहती है और उस पिच से छेड़छाड़ करना अलाउड नहीं होता और उस पिच पर मैच वाले दिन क्रिकेट खेला जाता है  पर अक्सर प्लेयर मैच से पहले प्रैक्टिस करते हैं तो इसीलिए साइड के पिच बनाए जाते हैं ताकि प्लेयर प्रैक्टिस कर सके क्योंकि मेन पिच तो मैच के लिए रिजर्व रहता है अगर  ग्राउंड में एक ही पिच होगा तो फिर प्लयेर प्रैक्टिस कहां करेगें  इसलिए मेन पिच के साथ बाकी की पिचें बनाई जाती है।

Oxygen cylinder चौकोर क्यूं नहीं होते

 आपने गैस सिलेंडर या ऑक्सीजन सिलेंडर कई बार  देखा होगा कभी आपने सोचा है की ये गोल ही क्यूं होते है  चाहे उस सिलेंडर मै कोई भी गैस भरी हो चाहे वह छोटा हो या बड़ा हमेशा बेलनाकार ही होते हैं कभी भी  चोकोर या  गोल नहीं होते इसके अलावा अस्पतालों तक ऑक्सीजन पहुंचा रहे टैंकर भी बेलनाकार ही होते हैं दरअसल जब भी किसी लिक्विड या गैस को किसी टैंकर में रखा जाता है तो सबसे ज्यादा प्रेशर उनके कोनों पर पड़ता है  तो ऐसे में  चौकोर टैंकर नहीं बनाए जाते क्योंकि कोनों में ज्यादा प्रेशर बनने से उनसे गैस लीक  होने या उनके फटने का डर ज्यादा होता है ऐसे में बिना कोने वाले  टैंकर में एक समान दबाव पड़ता है जिससे उसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाना आसान हो जाता है  इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया है कि किसी भी बेलनाकार  सिलेंडर को ट्रक या गाड़ी में लोड करते हैं तो वह  ग्रेविटी प्रेशर बनाए रखते हैं जिससे सेंटर ऑफ ग्रेविटी भी कम होता है और ट्रक स्थिर रहता है  तो इसी वजह से टैंकर बिना कोने वाले या बेलनाकार होते हैं

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